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तंजय स्तोत्र । सिद्धायिका देवी ( चक्केसरी ) चक्रेश्वरी ( वइरुट्टा) वैरोटया और ( संतिसुरा ) शान्ति देवता ये देवतापंचक ( पवयणस्स ) चतुर्वर्णसंधको ( सुक्खाणि ) मनोवांछित ( दिसउ
(भावार्थ) नाशकियेहैं सम्पूर्ण क्लेशादि जिसने ऐसी नेभिजिन भगवानकी उपासिका अंबादेवी, वर्द्धमानस्वामीके शासनकी रक्षासे प्रसिद्ध सिद्धायिका चक्रेश्वरी, रोट्या और शान्तिसुरा ये देवता पंचक चतुर्वर्ण संधको मनोवांछित फल देओ.
(गाथा) सोलसविज्झादेवी. उदितुसंघस्समंगलंविउलं ॥ अच्छुतासहिआउ विस्सुअसुअदेवयाइसमं ॥ १३ ॥
(छाया) अच्छुप्तासहिताः विश्रुतश्रुतदेवतया समं षोडश विद्या देव्यः संघस्य विपुलं मंगलं ददतु
• (पदार्थ) (अच्छुत्ता सहिआउ) अच्छुप्ता देवी सहित (विसुअ) विख्यात ऐसी (सुअदेवआइ ) श्रुतदेवताके ( समं )