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________________ ५८ श्री सप्त स्मरणादि नित्यस्मरण. जिम रयणायर रयणे विलसे, जिम अंबर तारागण विकसे, तिम गोयम गुण केलि वने ॥ ३६ ॥ पूनम निसि जिम ससियर सोहे, सुरतरु महिमा जिम जग मोहे, पूरव दिसि जिम सहसकरो ॥ पंचानन जिम गिरिवर राजे. नरवइ घर जिम मयगल गाजे, तिम जिनशासन मुनिपवरो ।। ४० ॥ जिम सुरतरुवर सोहे शाखा, जिम उत्तम मुख मधुरी भाषा, जिम वन केतकी महमहे ए॥ जिम भूमीपति भुयबल चमके, जिम जिनमंदिर घंटा रणके, तिम गोयम लब्धे गहगह्यो ए ॥४१॥ चिंतामणि कर चढीयो आज, सुरतरु सारे वंछित काज, ___ कामकुंभ सहु वश हुमा ए॥ कामगवी पूरे मन कामिय, अष्ट महा सिद्धि आवे धामिय, सामिय गोयम अणुसरो ए ॥ ४२ ॥ पणवक्खर पहिलो पभणीजे, मायावीज श्रवण निसुणीजे ।। श्रीमती शोभा संभवे ए॥ देवह धुरि अरिहंत नमीजे, विनय पहु उवझाय थुणीजे, इण मंने गोयम नमो ए ॥ ४३ ॥ १ प्राचार्य श्रीनिनकुशलसूरिजी महाराज के शिष्य श्रीविनय. प्रभ उपाध्यायनीने अपना संसारी भाई दरिद्र था उसके लिये यह गौतम स्वामीका रास बनाया है, इस रासके प्रभावसं वह धनवान हुमा । . (ले० प्रवर्तक सुखसागरजी.)
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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