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मदनसुंदरीकी कथा।
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मदनसुंदरीकी कथा । उक्त श्लोकोंके मंत्रोंकी आराधनासे जीवोंको निरोगता प्राप्त होती है। उसके प्रभावको प्रकट करनेवाली और मिथ्या मतकी नाश करनेवाली कथा इस प्रकार है:___ अवन्ति देशमें उज्जयिनी प्रसिद्ध नगरी है । उसके राजाका नाम महीपाल था और उनकी रानीका नाम मदनसुन्दरी था । वह पूर्व जन्मके पापके उदयसे बहिरी थी और उसके शरीरसे सदा दुर्गन्ध निकलती रहती थी। उसके हाथ-पाँवोंकी सब शोभा नष्ट हो गई थी। रूप भी उसका बहुत बुरा दीखता था । इतने पर भी राजाका उस पर पूर्ण प्रेम था । इस कारण उन्होंने उसके रोगकी शान्तिके लिए बहुत कुछ उपाय किये, बहुतसे मंत्र-तंत्र करवाये, पर किसीसे उसे आराम नहीं पहुँचा। . ___ एक दिन किसी जैनीने राजासे कहा-महाराज! मेरे गुरु धर्मसेन मुनि इस विषयके बहुत अच्छे विद्वान् हैं । इसलिए आप उनसे महारानीका हाल कहिए। उन्होंने यदि इलाज करना स्वीकार कर लिया तब निश्चय समझिए कि महारानीको आराम हो जायगा । यह सुन कर राजा मुनिको बड़े आदर-सम्मानके साथ नगरमें ले आए। इसके बाद वे महारानीको दिखला कर बड़े विनयसे बोले-गुरुराज ! यदि महारानीको आराम हो गया तो मैं नियमसे जिनधर्मको स्वीकार कर लूँगा। ___ इस पर मुनिराजने कहा-इस समय इस विषयमें मैं ठीक उत्तर नहीं दे सकता; कल सबेरे जो कुछ होगा वह कह दूँगा । यह कह कर वे वनमें चले गए। रातको वे सोए हुए थे । उस समय चक्रेश्वरीने आकर उनसे कहा-प्रभो ! कुछ चिंता न कीजिए, धर्मके प्रभावसे सब