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भकामर-कथा। mmmmmmmm
अच्छी तरा पक गया जग-बीच धान,
है काम क्या जल भरे इन बादलोंसे ॥ - प्रभो ! जब आपका मुख-चन्द्र ही अन्धकारको नष्ट कर सकता है, तब रातमें चन्द्रमाका और दिनमें सूर्यका काम ही क्या है ? कारण संसारमें धानके खेतोंके पक चुकने पर जलेके भरे हुए बादलोंसे कोई लाभ नहीं।
लोकपालकी कथा। . इस श्लोकके मंत्रकी आराधनासे सब उपसर्ग नष्ट होते हैं, उसकी कथा इस प्रकार है
भारतवर्षमें विशाला नामकी एक रियासत है। वह छोटी है, पर बहुत सुन्दर है। उसमें सेठ-साहूकारोंके बड़े बड़े महल हैं। अपनी सुन्दरतासे वह स्वर्गकी शोभाको भी नीचा दिखाती है। ___ उसमें एक धनी साहुकार रहता था । उसका नाम लक्ष्मण था । वह बहुत बुद्धिमान, सदाचारी और गुणी था । उसने अपने गुरु श्रीचन्द्रकीर्ति मुनिसे भक्तामर, उसके मंत्र, और उसकी आराधनाविधि सीखी थी। ___ एक दिन लक्ष्मण बड़े भक्ति-भावसे स्तोत्रकी आराधना कर रहा था । उसके प्रभावसे एक देवी, जो कि सूर्यके तेजसे भी कहीं अधिक तेजस्विनी थी, आई। उसने लक्ष्मण पर प्रसन्न होकर उसे चन्द्रमाके आकारका एक कान्तिशाली रत्न दिया। सच है-जब देवता प्रसन्न होते हैं तब वे कुछ न कुछ अमोल वस्तु देते ही हैं । इसके बाद देवीने उससे कहा__“रातमें मंत्र पढ़ कर इस रत्नको आकाशमें फेंकनेसे यह चन्द्रमाका काम देगा ।" देवी इतना कह कर अपने स्थान पर चली गई।