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केलिप्रियकी कथा।
जानती हो, राजाका पुत्र नास्तिक हो गया है। उसका किसी धर्म पर विश्वास नहीं है। इसके अतिरिक्त वह व्यसनी भी है। इससे राजा बहुत दुखी हैं। इस कारण तुम उसे एक दिन अपनी माया द्वारा नरककी हालत दिखलाओ। उसका उसके चित्त पर बहुत प्रभाव पड़ेगा और वह सुमार्ग पर भी आ जायगा।
एक दिन राजकुमार भूला-भटका मुनिके स्थानकी ओर आ निकला । संध्याका समय था । जाकर वह मुनिराजको आश्चर्य-भरी दृष्टि से देखने लगा। इतनेमें उसकी नजर दूसरी ओर पड़ी। वह उस ओर देख कर काँप उठा । उधर उसने एक विचित्र ही घटना देखी । उसने देखा कि किसीका मुँह बड़ा भयंकर है, किसीका पेट बहुत मोटा है, किसीके तीखे और भयानक दाँत हैं, किसी की आँखें बड़ी बेढंगी हैं, किसीकी एकही टाँग है, किसीका एकही हाथ है; किसीके हाथोंमें डरावने शस्त्र हैं, कोई मारो मारो चिल्ला रहा. है, कोई किसीको बांध रहा है, कोई मार-काट कर रहा है, कोई किसीको निर्दयताके साथ घानीमें पेल रहा है, कोई किसीको भट्टीमें झोंक रहा है, कोई किसीको तेलकी गरम गरम कढाईमें ढकेल रहा है, कोई किसीको लोहा गाल गाल कर जबरन पिला रहा है, कोई किसीको करौंतीसे काट रहा है, कोई किसीको भाड़में भून रहा है, कोई शूली पर चढ़ाया जा रहा है, कोई फाँसी लटकाया जा रहा, है, कोई काँटोंकी बाड़में फैंका जा रहा है, कोई लाल लाल तपे हुए लोहेके खंभोंसे आलिंगन कराया जा रहा है, कोई सिंहके मुखमें फैंका जा रहा है, कोई राक्षसोंके हाथ सौंपा जा रहा है, कोई बड़े बड़े ऊँचे पहाड़ों परसे नीचे ढकेला जा रहा है, किसीके तीखी तलवारसे तिलके बराबर छोटे छोटे टुकड़े किये जा रहे