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भक्तामर-कथा ।
. . कमदी सेठकी कथा। इन श्लोकोंकी आराधना द्वारा कमदी नामक सेठको जो फल प्राप्त हुआ, उसकी कथा नीचे लिखी जाती है___ अणहिल नामक एक शहर था। उसके राजाका नाम प्रजापाल था। वहाँ एक कमदी नाम महाजन रहता था । वह बड़ा दरिद्री था । एक दिन अणहिलके वनमें एक मुनिराज आये । कमदी उनकी वंदनाके लिए गया । वहाँ मुनिराज द्वारा भक्तामर-स्तोत्रका माहात्म्य सुन कर उसने उसे सीख लिया और प्रतिदिन वह उसकी आराधना करने लगा। जब उसका जाप्य पूरा हुआ, तब देवीने आकर उससे कहा-निस बातकी तुझे जरूरत हो, उसे माँगले । मैं तेरी इच्छा पूरी कर दूंगी। कमदीने देवीसे कहा-माँ ! मैं दरिद्रताके मारे बहुत कष्ट पा रहा हूँ, इसलिए मुझे धनकी बड़ी जरूरत है । सुन कर देवीने कहा"अच्छी बात है। मैं आज साँझको तेरे घर पर कामधेनु बन कर आऊँगी। तू अपने घडोंमें मेरा दूध दुह लेना। वह सब दूध मेरे प्रसादसे सोना बन जायगा।" इतना कह कर देवी चली गई। सच है-ऐसा कौन असाध्य काम है, जिसे देवता लोग न कर सकते हों। ___ साँझ होते ही देवी अपनी प्रतिज्ञाके अनुसार गायके रूपमें कमदीके घर आई । कमदीने उसके दूधसे कोई इकतीस घड़े भर लिए । वे सब फिर सोनेके बन गये । यह देख कर कमदी बड़ा खुश हुआ। इसके बाद उसने देवीसे प्रार्थना की कि देवि ! आपकी कृपासे मुझे धन तो बहुत मिल गया, पर एक बात तब भी हृदयमें खटकती है। वह यह कि इतना धन होने पर भी जिस घरमें धर्मात्मा पुरुषोंके चरण न पड़ें तो वह घर एक तरह अपवित्र ही है। मेरी इच्छा है कि