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________________ ऋद्धि, मंत्र और साधनविधि । १२७ - मंत्र--ॐ हां ही हूं हः अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झौं झौं स्वाहा । ॐ ही लक्ष्मणरामचन्द्रदेव्यै नमः स्वाहा । विधि-अरीठाके बीजकी मालासे २१ दिनतक प्रतिदिन १००० जाप करने और यंत्र पास रखनेसे सब प्रकारका अरिष्ट दूर होता है । तथा नमककी ७ डली लेकर एक एकको १०८ बार मंत्र कर किसी पीड़ित अंगको झाड़नसे पीड़ा मिटती है। इस विधिमें धूप घृत मिले हुए गुग्गुलकी हो और नमककी डलीको होममें रखना चाहिए। ऋद्धि--ॐ हीं णमो अरिहंताणं णमो संभिण्णसोदराणं हां ही हूं फट् स्वाहा। मंत्र--ॐ हीं श्रीं क्रौं इवीं रः रः ह हः नमः स्वाहा। विधि--चार कंकरीको १०८ आठ बार मंत्रकर चारों दिशाओंमें फेंकनेसे और यंत्र पास रखनेसे रास्ता कीलित हो जाता है, कोई प्रकारका भय नहीं रहता, चोर चोरी नहीं कर पाता। ऋद्धि--ॐ हीं अहं णमो सयंबुद्धीणं । ___ मंत्र-जन्मसध्यानतो जन्मतो वा मनोत्कर्षधृतावादिनोर्यानाक्षान्ता भावे प्रत्यक्षा बुद्धान्मनो ॐ हां ही हौं हः श्रां श्रीं धूं श्रः सिद्धबुद्धकृतार्थो भव भव वषट् सम्पूर्ण स्वाहा। विधि--उक्त ऋद्धिमंत्रकी आराधना तथा यंत्र पास रखनेसे कुत्तेका विष उतरता है । और नमककी ७ डली लेकर प्रत्येकको १०८ बार मंत्रकर खानेसे कुत्तके विषका असर नहीं होता । विधान-पीले रंगकी मालासे मंत्रकी आराधना करनी चाहिए और धूप कून्दरुकी हो।.७ या १० दिनतक १०८ बार जपना चाहिए। ११ ऋद्धि-ॐ हीं अहे णमो पत्तेयबुद्धीणं । - मंत्र-ॐ हीं श्रीं क्लीं श्रां श्रीं कुमतिनिवारिण्यै महामायायै नमः स्वाहा। विधि स्नानकरके पवित्र वस्त्र पहरे और दीप, धूप, नैवेद्य, फल लिए प्रसन्न चित्तसे खड़े रहकर सफेद मालासे १०८ बार जपने और यंत्र पास रखनेसे जिसे बुलानेकी इच्छा हो वह आ सकता है । और लाल मालासे २१ दिनतक प्रतिदिन
SR No.002454
Book TitleBhaktamar Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherJain Sahitya Prasarak karyalay
Publication Year1930
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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