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१०८ बार जपनेसे भी उपर्युक्त फल होता है । इस विधि में धूप कुन्दस्की होनी चाहिए। १२
भक्तामर कथा
ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्ह णमो वोहिबुद्धीणं ।
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मंत्र — ॐ आं आं अं अः सर्वराजाप्रजामोहिनी सर्वजनवश्यं कुरु कुरु स्वाहा । विधि-यंत्र पास रखने और १०८ बार उक्त मंत्र द्वारा तेल मंत्रकर हाथीको पिलानेसे उसका मद उतर जाता है । विधान - ४२ दिनतक प्रतिदिन १००० जाप लाल मालासे करना चाहिए । धूप दशांग हो । 7
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ऋद्धि - ॐ ह्रीं अर्ह गमो ऋजुमदीणं । )
मंत्र — ॐ ह्रीं श्रीं हंसः न्हीं हां नहीं द्रां द्रीं द्रौं द्रः मोहनी सर्वजनवश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
विधि - यंत्र पास रखने और ७ कंकरी लेकर प्रत्येकको १०८ बार मंत्रकर चारों ओर फेंकनेसे चोर चोरी नहीं कर पाते और रास्तेमें किसी प्रकारका भय नहीं रहता। विधान - पीली मालासे ७ दिनतक प्रतिदिन १००० जाप करना चाहिए। धूप कुन्दरुकी हो । पृथ्वीपर सोना चाहिए और एक भुक्त करना चाहिए 1 १४
ऋद्धि-ॐ ह्रीं अर्ह णमो विमदी ।
मंत्र - ॐ नमो भगवती गुणवती महामानसी स्वाहा ।
विधि-यंत्र पास रखने और ७ कंकरी लेकर प्रत्येकको २१ बार मंत्रकर चारों ओर फेंकने से व्याधि, शत्रु आदिका भय नष्ट होता है, लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है और वातरोग नष्ट होता है ।
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ऋद्धि
ॐ ह्रीं अर्ह णमो दसपुव्वीणं ।
मंत्र — ॐ नमो भगवती गुणवती सुसीमा पृथ्वी वज्रशृंखला मानसी महामानसी स्वाहा ।
विधि - यंत्र पास रखने और मंत्रद्वारा २१ बार तेल मंत्रकर मुखपर लगानेसे राजदरबारमें बोलबाला रहे, सौभाग्य बढ़े और लक्ष्मीकी प्राप्ति हो । विधान - १४ दिनतक प्रतिदिन लाल माला द्वारा १००० जाप करनी चाहिए, दशांग धूप हो और एकभुक्त करना चाहिए ।