________________
३१६ ]
[ तित्थोगालो पइन्नय
तत्पश्चात् माता-पिता शुभ तिथि और शुभ करण में महापद्म का बड़े सामन्त कुल में उत्पन्न हुई यशोदा नामक एक सुन्दर राज. कुमारी के साथ विवाह करेंगे :१०५२। भर हमि पढम राया, हय-गयरह-जोह संकुलं सेणं । तो माणि भद्द देवो, काहिति पुण्णभद्दो य १०५३। (भरते प्रथमो राजा, हय गज रथ योध संकुलं सैन्यम् । ततः मणिभद्रदेवः करिष्यति पूर्णभद्रश्च ।)
___ महापद्म आगामी उत्सपिणी काल में भरत क्षेत्र के प्रथम राजा होंगे। मणिभद्र और पूर्णभद्र देव उन राजा महापद्म के लिये अश्व-गज एवं रथारोही योद्धाओं की एक अति विशाल सेना संगठित करेंगे।१०५३। जम्हा देवा सेणं, पडियग्गंति उ पुच संगइया । तम्हा उ देवसेणो, देवासुर पूजितो नाम ।१०५४। (यस्मात् देवाः सैन्यं, प्रत्यग्रन्ति तु पूर्व संगतिकाः । तस्मात् तु देवसेनः, देवासुरपूजितः नाम )
पूर्व भव के मित्र देवों द्वारा सेना के संगठित किये जाने के कारण महापद्म का दूसरा नाम देवासुर पूजित देवसेन भी प्रसिद्ध होगा।१०५४। धवलं गयं महंत, सत्नंग पइद्वितं चउदंतं । वाहेति विमल जसो, नाम तो विमलवाहणोति १०५५। (धवलं गजं महान्तं, सप्तांगप्रतिष्ठितं चतुर्दन्तम् । वाहयति विमलयशः, नाम अतः विमलवाहन इति ।)
विमल यश के भागी राजा महापद्म सर्वांग सुन्दर चतुर्दन्त नामक एक महान एवं श्वेत रंग के हाथी पर आरोहण करेंगे इस लिये उनका तीसरा नाम विमलवाहन भी प्रसिद्ध होगा ।१०५५। । सो देव-पतिग्गहीओ, तीसं वासाई वसति गिहवासे । अंमापितीहिं भगवं, देवचि गतेहि पव्वदत्तो ।१०५६।