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[ तित्थोगाली पन्नइय
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अद्ध नवमा य मासा, वासा तिनव होंति वोक्कंता । दूसमसुम काले, तो उप्पण्णो महा पउमो । १०३८ । (अर्द्ध नवमा च मासा, वर्षाणि त्रीण्येव भवन्ति व्युत्क्रान्ता | दुःषम सुषमा काले, तत उत्पन्नो महा पद्मः । )
आगामी उत्सर्पिणी काल के दुष्षम सुषम नामक तृतीय मारक के तीन वर्ष और साढ़े आठ मास व्यतीत होने पर महापद्म तीर्थंकर का जन्म होगा । १०३८ ।
चुलसीति सहस्साई, वासा सत्तेव पंच मासा य ।
वीर महा परमाणं, अंतरमेयं तु विन्नेयं । १०३९ । ( चतुरसीति सहस्राणि वर्षाणि सप्तव पंच मासाश्च । वीर महापद्मयोरंतरमेतत्तु विशेयम् । )
भगवान् महावीर और महापद्म इन दोनों के बीच के काल का अन्तर ८४, ००७ वर्ष और पांच मास समझना चाहिए । १०३६। तुट्ठा उ देवीओ, देवा आनंदिया सपरिसग्गा । भयमि महाप मे, तरलोक्क सुहावहे जाते १०४०। (तुष्टास्तु देव्यः, देवा आनन्दिताः सपरि षतकाः । भगवति महापद्म े, त्रैलोक्यसुखावहे जाते ।)
त्रैलोक्य को सुख प्रदान करने वाले तीर्थकर भगवान् महापद्म के उत्पन्न होने पर देवियां बड़ी प्रसन्न होंगी और अपनी परिषदों सहित देव-देवेन्द्र प्रानन्द का अनुभव करेंगे । १०४० जायंमि महापउमे, पउम मणि कणगवर वासं । मुचंति देवसंघा, हरिसवसुल्ल सियरोमंचा । १०४१ | ( जाते महापद्म पद्ममणि - रत्न - कनकवरवर्षम् ।
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मुचन्ति देवसंघाः, हर्षवशोल्लसित रोमाञ्चाः )
भगवान् महापद्म का जन्म होने पर हर्षातिरेक से पुलकित हो देवों के समूह पद्ममणियों, रत्नों और स्वर्णमुद्रात्रों की बड़ी सुन्दर वर्षा करेंगे । १०४१ ।