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तित्थोगाली पइन्नय ।
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___ दुर्बल एवं क्षीण त्रस्त तथा इधर उधर भागती हुई गायों एवं भैंसों वाल', उखड़ी हई कक्षा वाले अर्थात् उखड़े हुए जनपदों की यह दयनीय प्रवृत्ति पर्याप्त लम्बे समय तक चलती रहेगी।६०६। संपत्ता य जणवदा, पणट्ठसोभा य गिरभिरामा । तियदार सावएज्जा [१] चोराउल दुग्गमा देसा ।९०७। सम्प्राप्ताश्च जनपदाः, प्रणष्टशोभा च अनभिरामाः।
[१], चोराकुल दुर्गमाः देशा । आज जो ये जनपद हैं. इनकी शोभा उस समय नष्ट हो जायेगी और ये बड़े असुन्दर हो जायेंगे।"प्रदेश चोरों से आकुल व्याकुल और दुर्गम होंगे ६०७ चोरे हणंति देसे, राया करपीडियाई रट्ठाई। अइ रोदज्झवसाया, भिच्चा य हणंति रायाणो ।९०८। चौरा घ्नन्ति देशान्. राजा करपीडितानि राष्ट्राणि । अति रौद्र-अध्यवसायाः, भत्याश्च घ्नन्ति राजानः ।
उस समय प्रदेश चोरों को मार से मरे के समान और राष्ट्र राजा द्वारा लगाये गये करों से पीडित रहेंगे। बड़े ही क्र र अध्यवसायों वाले भत्य (दास) राजाओं को मारेंगे ।०८। धण-धण्णे अवि तण्हो, भिक्खावलिदाण धम्मपरिहीणो । पावो मोहमतीओ गुरुजणंमि परंमुहो लोगो। (धन-धान्ये अपि [अति] तृष्णः, भिक्षा बलिदान धर्मपरिहीनः । पापः मोहमतिकः गुरुजने पराङ्मुखो लोकः ।
उस समय का लोक समूह धन-धान्य में प्रति गद्ध, भिक्षा, बलिदान और धर्म से नितान्त रहित पापी, मोह के कारण मदान्ध और गुरुजनों से सदा पराङ मुख होगा ।६०६। सीसा वि न पूईति, आयरिए दसमाणु भावेणं । आयरिया सुमणसा, न दिति उवदेसरयणाई ।९१०।