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तित्थोगाली पइन्नय
[ २५७ श्रावकों में अन्तिम श्रावक गाथापति श्रेष्ठी नाइल और श्राविकाओं में अन्तिम श्राविका सर्वश्री होगी।८४३। अभिगय जीवाजीवा, सा या किर साविया अपच्छिमिया । धम्ममि निच्छितमती, सबसिरी नाम नामेणं ।८४४। (अभिगत जीव-अजीवा, सा या किल श्राविका अपश्चिमका । धर्मे निश्चितमतिः, सर्वश्री नामा नाम्ना :)
सर्वश्री नाम की वह अन्तिम श्राविका जीव तथा अजीव तत्त्व की अभिज्ञा तथा धर्म के प्रति दृढ़ आस्थावती होगी।८४४। राया य विमलवाहणो, सुमुहो नामेण तस्स य अमच्चो । इय दुसमाए काले, रायामच्चो अपच्छिमिगो ।८४५। (राजा च विमलवाहनः, सुमुखो नाम्ना तस्य च अमात्यः । अस्या दुःषमायाः काले, राजामात्यो अपश्चिमकः )
इस अवसर्पिणी के दुःषम प्रारक के अन्त में विमलवाहन नाम का अन्तिम राजा और उसका सुमुख नामक अमात्य अन्तिम राजामात्य होगा।८४५॥ दुप्पप्तहो फरगुसिरी सव्वसिरी नाइलो य राया य । इय दुस्सम चरिमंते, वीसतिवासाउया एते ।८४६। (दुःप्रसभः फल्गुश्रीः. सर्वश्री नाइलश्च राजा च । अस्य दुःषमस्यांने चरिमान्त, ते विंशतिवर्षायुष्या एते ।) ___इस दुःषम काल के अन्त में दुःप्रसह, फल्गुश्री, सर्वश्री, नाइल और राजा ये सब बीस-बीस वर्ष की आयु वाले होंगे।८४६। . छ? चउत्थं च तया, होही उक्कोसयं तवोकम्मं । दुप्पसहो आयरियो, काही किर अट्ठमं भत्तं ।८४७। (षष्ठ चतुर्थं च तदा, भविष्यति उत्कृष्टकं तपःकर्म । दुःप्रसभ आचार्यः, करिष्यति किल अष्टमं भक्तम् ।)