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________________ २५२ ] [ तित्थोगाली पइन्नय उस समय में लोग निर्लज्ज और पाखण्डी होंगे। चोरों द्वारा लोग आये दिन लूटे जायोंगे। उस समय ग्राम नाममात्र ही शेष रहेंगे ।२६। वीसाए सहस्सेहि, पंचहिं सएहिं होइ बरिसाणं । पूसे वच्छ सगोते, वोच्छेदो उचरज्झाए ।८२७। (विंशत्याः सहस्रः पञ्चभिर्शतैः भवति वर्षाणाम् । ... पुण्ये वत्स-सगोत्रे, व्यवच्छेद उत्तराध्ययनस्य ।) वीर निर्वाण से बीस हजार पांच सौ (२०,५००) वर्ष पश्चात् वत्स गोत्रीय पुष्य मुनि के अनन्तर उत्तराध्ययन का विच्छेद हो जायेगा।२७। वीसाए सहस्सेहिं वरिस सएहिं नवहिं वोच्छेदो । दसवेतालिय सुत्तस्स, दिण्ण साहुम्मि बोधव्वो ।८२८।। (विंशति सहस्र वर्षशतैनवमिळवच्छेदः । दशकालिक सूत्रस्य, दिन्न साधौ बौद्धव्यः ।) वीर निर्वाण सं० २०,६०० (बोस हजार नौ सौ) में दिन्न नामक साधु के पश्चात् दश-वैकालिक सूत्र का व्युच्छेद होगा, यह जानना चाहिए ।८२८। पविरल गामं जाणवदं, पविरल मणुएसु नाम देसेसु । नामेण नाइलो नाम, गणहरो होहीइ महप्पा ८२९। प्रविरल ग्रामं जनपदं, प्रविरलमनुष्येषु नाम देशेषु । नाम्ना नाइल नामा, गणधरो भविष्यति महात्मा ।) कालान्तर में प्रदेशों में नाम मात्र के लिये विरले ग्राम, विरले जनपद और अति स्वल्प संख्याक विरले ही मनुष्य अवशिष्ट रह जायेंगे। उस समय नाइल नामक एक महात्मा गणधर होंगे।८२६। धम्ममि निरालोए, जिणमत दुस्सद्दहमि लोगम्मि । पव्वावेही सीसं, दुप्पसहं नाम नामेणं ।८३०
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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