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तित्थोगालो पइन्न ।
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बिस्सनंदी सुबन्धू य, सागरदत्ते असोगललिए य । वाराह धम्मसेणे, अबराइय रायललिए य ।६०६। (विश्वनन्दिः सुबन्धुश्च, सागरदत्तोऽशोकललितश्च । वाराहः धर्मसेनोऽपराजितः राजललितश्च ।)
(एयाई बलदेवाण पुब्वभव नामाइ) विश्वनन्दी, सुबन्धु. सागरदत्त, अशोक, ललित, वाराह, धर्म सेन, अपराजित और राजललित-ये बलदेवों के पूर्वभव के नाम
संभूते सुभद्द सुदंसणे य, सेज्जंस कण्ह गंगे य । सागर समुद्दनामे, नवमे दुमसेण नामे य ।६०७। (संभूतः सुभद्रः सुदर्शनश्च, श्रेयांसः कृष्णो गंगश्च । सागरः समुद्रनामा, नवमः द्र मसेन नामा च ।)
संभूत, सुभद्र सुदर्शन, श्रेयांस कृष्ण, गंग, सागर, समुद्र और द्रमसेन ।६०७। एते पुवायरिया, किचीपुरुसाण वासुदेवाणं । पुव्वभवे आसी य, जत्थ नियाणाई कासी य ६०८। (एते पूर्वाचार्याः, कीर्तिपुरुषाणां वासुदेवानाम् । पूर्व भवे आसन् च, यत्र निदानान्यकाएं श्च ।)
ये कोतिपुरुष वासुदेवों के पूर्वभव के आचार्य थे। जहां इन वासुदेवों ने अपने पूर्व भव में निदान किये उन नगरियों के निम्नलिखित नाम हैं । ६०८। महुरा य कणगवत्यु, सावत्थी पोयणं च रायगिहं । कोगंडी कोसंबी, महिलपुरी हत्थिणपुरं च ।६०९।