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________________ तित्थोगा ली पइन्नय ] . [ १८७ (इमा द्वात्रिंश सहस्राः; चारुपत्नीनां तावत् त्रिपृष्ठस्य । धारिणिप्रमुखानां च, अष्टसहस्राश्च अचलस्य । ये त्रिपृष्ठ की धारिणी प्रमुखा ३२००० चारुहासिनी, चारु भाषिणी, चारुगामिनी, चारुदशिनी रानियां थीं । हल-मूसलधर अचल की भी ८००० (आठ हजार) रानियां थीं ।५६६। ऊसिय मगरज्झयाणं, विदिण्ण वरच्छत्तवाल वियणाणं । सोलस गणिय सहस्सा, वसंतसेणा पहाणाणं ।६००। (उच्छितमकरध्वजानां, वितीर्ण वरच्छत्र-बालवीजनानाम् । षोडश गणिकासहस्राणां, वसन्तसेना-प्रधानानाम् ।) त्रिपृष्ठ और अचल की सेवा में कामदेव की मकराङ्कित उत्तु न विजय वैजयन्ती के समान एवं राजा द्वारा प्रसाद पूर्वक प्रदत्त श्रेष्ठ छत्र और चवरों को धारण करने वाली वसन्त सेना आदि सोलह हजार गणिकाएं थीं।६००।। . एवं तु मए भणियं, अयलितिविठ्ठण दोण्हविजणाणं । एतो परं तु वोच्छं. अठण्हं नवर जुयलाणं ६०१। (एवं तु मया भणितं, अचलत्रिपृष्ठयोः द्वयोरपि जनयोः । इतः परं तु वक्ष्ये, अष्टानां (नवानां) नवरं युगलानाम् ।) इस प्रकार मैंने अचल और त्रिपृष्ठ दोनों के सम्बन्ध में कथन किया। अब मैं वासुदेवों एवं बल देवों से सम्बन्धित आठ बातों का कथन करू गा।६०१ पयावती य बंभे य, रुद्द सोमे सिवेति य । महसीह अग्गिसीहे, दसरह नवमे य वसुदेवे ।६०२। (प्रजापतिश्च ब्रह्मश्च, रुद्रः सोमः शिवेति च । महासिंहोऽग्निसिंहः, दशरथः नवमश्च वसुदेवः ।)
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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