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________________ तित्थोगाली पइन्नय ] [ १६३ (मिथिलायां नमि जिनेन्द्रः, नवनवनीत सुकुमाल-सर्वांगः । पडू वर्षे शतसहसः, मुनिसुव्रतात्तु समुत्पन्नः ।) तीर्थंकर सुव्रत (मुनिसुव्रत) के छः लाख वर्ष पश्चात् अभिनव नवनीत के समान सर्वांग सुकोमल इकवीसवें तीर्थंकर नमिनाथ का मिथिला में जन्म हुआ।५१६॥ वासमयसहस्साणं, पंचण्हपुव्ववीर कुलकेउं । सोरिय अरिहनेमि , दसारकुलनंदणं जाणे ।५२०। (वर्षशतसहस्राणां, पंचभिर पूर्ववीर कुलकेतुम् । . शौरि अरिष्टनेमि, दशाह-कुल-नन्दनं जानीतः ।) तीर्थंकर नमिनाथ से पांच लाख वर्ष पश्चात् उत्पन्न हुए अपूर्व वीर कुल के केतु अथवा यदुवंश कुल केतु और दशाहकुल के नन्दन बावीसवें तीर्थंकर नेमिनाथ को जानिये ।५२०। तेपोइ सहम्सेहिं, मएहिं अट्ठपेहिं बरिसा । नेमीओ समुप्पण्णं, वाणारमिसंभवं पासं १५२१। (व्यशीति-सहस्र : शतैः अष्टिभिवः । नेमीतः समुत्पन्नं, वाराणसिप्तमवं पार्श्वम् ।) अरिष्टनेमि से ८३ ७५० वर्ष पश्चात् वाराणसी नगरी में उत्पन्न हुए २३ वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को जानिये ।५२१। वाससरहिं. वियाणह, अढाइज्जेहिं नायकुलकेउ । पासाओ समुप्पण्णं. कुडपुरंमि महावीरं ।५२२। (वर्षशतैः विजानीथ, सार्द्ध द्विभितिकुलकेतुम् । पार्थात् समुत्पन्न; कुंडपुरे महावीरम् :) पार्श्वनाथ से २५० वर्ष पश्चात् (क्षत्रिय) कुडपुर में उत्पन्न हुए ज्ञात कुल के केतु २४ वें (अन्तिम) तीर्थंकर महावीर को जानिये ।५२२॥
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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