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________________ १६२ ] [ तित्थोगाली पइन्नय गजपुर में उत्पन्न हुए सत्रहवें तीर्थंकर कुरुकुल तिलक कुथु. नाथ का १६ वें तीर्थंकर शान्तिनाथ से अर्द्ध पल्योपम काल का अन्तर जानना चाहिये अर्थात् शान्तिनाथ से अर्द्ध पल्य पश्चात् कुथुनाथ का जन्म हुआ । ५१५ ॥ पलिय चउब्भागेण य, कोडि सहस्सूणएण वासाणं । अर जिणवरं गयपुरे, कुंथुजिणाओ समुपण्णं ।५१६। (पल्य चतुर्भागेन च कोटि सहस्र-उनेन वर्षाणाम् । अर जिनवरं गजपुरे, कुंथुजिनात् समुत्पन्न ) ___कुन्थुनाथ से एक हजार करोड़ वर्ष कम पाव (एक चौथाई। पल्योपम काल व्यतीत होने पर गजपुर में अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ का जन्म हुआ।५१६। मल्लिजिनं मिहिलाए, अराओ एकूणवीसमरिहंत । जाणाहि समुप्पण्णं, कोडिसहस्सेण वासाणं ।५१७। (मल्लिजिनं मिथिलायां, अरात् एकोनविंशमहतम् । जानीहि समुत्पन्नं, कोटिसहस्र ण वर्षाणाम् ।) ___अरनाथ से एक हजार करोड़ वर्ष व्यतीत. हो जाने पर मिथिला नगरी में उन्नीसवें तीर्थकर मल्लिनाथ का जन्म हुआ समझना चाहिए।५१७ मल्लिजिणा उप्पण्णं, चउपण्णवासाणसय सहम्सेहिं । मुणिसुव्वयं मुणिवर, हरिवंसकुलम्मि रायगिहे ॥५१८। (मल्लिजिनात् उत्पन्नं चतुर्पञ्चाशत् वर्षाणां शतसहस्रः । मुनि सुव्रतं मुनिवरं . हरिवंश कुले गजगृहे ।) ___ मल्लि जिनवर से ५४ लाख वर्ष पश्चात् राजगह नगर में बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत का जन्म हरिवंश में हुआ। ५१८। मिहिलाए नमि जिणिंद. नवनवणीय सुकुमाल सव्वंगं । छव्वासप्सयसहस्सेहिं [मणि सुव्वयाउ समुप्पण्णं ।५१९।
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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