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________________ तित्थोगाली पइन्नय । । १५५ ___ महारानी देवी और महाराज सुदर्शन के सूत तथा राजा सुभूम (सुभूम चक्रवर्ती से भिन्न) द्वारा प्रणत अठारहवें तीर्थङ्कर अरनाथ के ५०,००० (पचास हजार) शिष्य थे ।४६०॥ चत्तालीस सहस्सा, मल्लिजिनिंदस्स सीसपरिवारो। अजियंजिय-महियस्स, पभावतीकुभ पुत्तस्स ४९१। (चत्वारिंशत्सहस्राणि, मल्लि जिनेन्द्रस्य शिष्यपरिवारः । अजितंजित महितस्य, प्रभावती-कुम्भपुत्रस्य ) ___महारानी प्रभावती और महाराज कुम्भ के (की) पुत्र (पुत्रो) तथा अजितंजित नरेन्द्र द्वारा पूजित उन्नीसवें तीर्थङ्कर मल्लिनाथ के शिष्य परिवार की सं० ४०,००० (चालीस हजार) थी । ४ ६ १ । मुणिसुव्वयस्त तीसं, साहस्सीओ आसी सीसाणं । चिलियस्स पणमियस्स , सुमित्तपउमावइ सुयस्स ।४९२। (मुनि सुव्रतस्य त्रिंशत्साहमिका आसीत् शिष्यानाम् । चिलितन प्रणमितस्य, सुमित्र-पद्मावती सुतस्य ।) . महाराज सुमित्र और महारानी पद्मावती के पुत्र तथा राजा चिलित (विजयमह) द्वारा नमस्कृत बोसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत के ३०,००० (तीस हजार) शिष्य थे ।४ २। वीस साहस्सीओ, सीसाणं नमिजिणिदस्स परिवारो। जावगराय नयस्स , वप्पाए विजय तणयस्स ।४९३। (विंशत्साहत्रिका, शिष्यानां नमिजिनेन्द्रस्य परिवारः । यावकराज नतस्य, वप्रायां विजयतनयस्य ।) महारानी वप्रा और महाराज विजय के पुत्र तथा यावक नरेश्वर के वन्दनीय इकवीसमें तीर्थंकर नमिनाथ के शिष्य परिवार की सं० २०,००० बोस हजार थी।४६३। अट्ठारस य सहस्सा, सीसाणं आसि रिट्टनेमिस्स । कण्हेण पणमियस्स य, सिवासमुदाण तणयस्स ।४९४।
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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