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तित्थोगाली पइन्नय ]
(पट पूर्व शतसहस्राणि, पूर्व जातस्य जिनवरेन्द्रस्य । ततो भरत ब्राह्मी सुन्दरी, बाहुबली चैव जाताः । )
जब जिनवरेन्द्र ऋषभदेव को जन्म ग्रहण किये ६ लाख पूर्व यतीत हो गये तब भरत, ब्राह्मी, सुन्दरी और बाहुबली का जन्म हुआ । २८०।
देवी सुमंगलाए, भरहो भी य मिहुणगं जायें । देवीए सुनन्दा, बाहुबली सुन्दरी चेव । २८१ । (देव्याः सुमंगलायाः, भरतः ब्राह्मी च मिथुनकं जातम् । देव्याः सुनन्दायाः बाहुबली सुन्दरी चैत्र ।)
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देवी सुमंगला की कुक्षि से भरत और ब्राह्मी का मिथुन तथा देवी सुनन्दा की कुक्षि से बाहुबली और सुन्दरी का युगल उत्पन्न हुआ । २८१
अणापत्र जुले, पुचाण सुमंगला पुणो पसवे । नीतीण अक्कमणे, निवेयणं उसम सामिस्स | २८२ । ( एकोनपंचाशत युगलान् पुत्राणां सुमंगला पुनः प्रसूतवती । नीतीनामतिक्रमणे, निवेदनं ऋषभ स्वामिने |)
(अठारण वें) पुत्रों के उनपचास युगलों को देवी सुमंगला ने पुनः जन्म दिया जब अनेक यौगलिक लोग नोति का उल्लंघन करने लगे प्रमुख लोगों ने ऋषभदेव के समक्ष निवेदन किया । २८२ ॥
तो
राया करे दंड, सिट्ठ े तेसिं ति अम्ह विस होउ । मग कुलगरं सो बवी उसभो तुभे राया । २८३ । ( राजा करोति दण्डं, शिष्ट तेभ्य इत्यस्माकमपि सः भवतु । मार्गयतः कुलकरं सः ब्रवीति ऋषभः युष्माकं राजा ।)
ऋषभदेव ने कहा कि नीति का अतिक्रमण करने वालों को राजा दण्ड देता है । यह सुनकर यौगलिकों ने कहा--" हमारा भी राजा हो ।" ऋषभदेव ने कहा--" तो कुलकर से मांग करो।"