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महादेवस्तोत्रम् मथुरायां जातो ब्रह्मा, राजगृहे महेश्वरः ।। द्वारावत्यामभूद्विष्णु रेकमूर्तिः कथं भवेत् ? ॥ २९ ॥
पदार्थ-ब्रह्मा = ब्रह्मानामके देव, मथुरायाम् मथुरा नामके नगरमें, जातः उत्पन्न हुए हैं। महेश्वरः महेश्वर नामके देव, राजगृहे राजगृह नामके नगरमें ( उत्पन्न हुए हैं)। विष्णुः= विष्णु नामके देव, द्वारावत्याम् द्वारका नामके नगरमें, अभूत् = रहनेवाले हैं, तो, एकमूर्तिः एकमूर्ति, कथम् कैसे, भवेत ?= हो सकते है ? ॥ २९॥
भावार्थ-पुराणोंमें वर्णन किया गया है कि ब्रह्मा मथुरा नगरमें तथा महेश्वर राजगृह नगरमें अवतार लिये थे। एवं विष्णु द्वारका नगरीमें रहते थे। तो एक मूर्ति तीन भाग कैसे होंगे ? । ( भिन्न भिन्न स्थानोंमें जन्मलेने वालेकी मूर्ति भिन्न हीं हो सकती है, क्योंकि एक मूर्तिका अनेक स्थानोंमें जन्म नहीं होता। इसलिये एक मूर्ति तीन भाग-ऐसा कथन अत्यन्त अयुक्त है ) ॥ २९ ।।
हंसयानो भवेद्ब्रह्मा वृषयानो महेश्वरः ।। ताय॑यानो भवेद्विष्णुरेकमूर्तिः कथं भवेत् १ ॥ ३० ॥
पदार्थ-ब्रह्मा ब्रह्मानामके देव. हंसयानः-हंसके यानवाहनवाले, तथा, महेश्वरः महेश्वरनामके देव, वृषयानः वृषबलदके यान-वाहनवाले, भवेत् हैं। विष्णुः विष्णुनामके देव, तार्श्वयानःताय - गरुड़के यान - वाहनवाले, हैं, तो, एकमूर्तिः =एक मूर्ति, कथम् केसे, भवेत् ? = हो सकते हैं ? ॥ ३० ॥