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जैन जाति महोदय प्रकरण छट्ठा. एकता का फल देखा ? संगटुन से माज अंग्रेज लोग हजारों कोस दूर बैठे हुए भी भारतपर साम्राज्य चला रहे हैं और अपने मनमानी व्यवस्था कर रहे हैं तब एक ही धर्मपालनेवाले मुट्ठीभर जैन समाज के संगठ्ठन की कैसी दुर्दशा हो रही है। क्या हमारे समाज अप्रेसर सज्जन अभी भी अपनी घोर निद्रा को दूर कर अभिमान को तिलाजली दे अपनी समाज का संगठुन कर सुचारू रूपमें उस की व्यवस्था कर रक्षण करेंगे ?
(११) जैन समाज की वरिता
जैनधर्म के नेता वीर, जैनधर्म के उपासक वीर, जैनधर्म का उपदेशमय वीरता का, इतना ही नहीं पर जैनोंने भात्मकल्याण
और मोक्ष भी वीरता में बतलाया है एक समय वह था कि जैनसमाज के नररत्न वीरों की वीरता से संसार कम्प उठता था जिस समाज के वीरों की वीरता के लिए आज भी अच्छे २ एतिहासिक सज्जन मधुर स्वर से गुणानुवाद गा रहे हैं किन्तु आज उसी समाज के लिए चारों और से पुकारे हो रही है कि भारत में कायर और कमजोर कोम के लिए कहा जाय तो सब से पहिला नम्मर जैन समाज का है इस का कारण बाललग्न वृद्धविवाह और कन्याविक्रयादि हम उपर लिख पाए हैं हमारी समाज के संस्कार ही ऐसे पड़ गए हैं कि जन्मते बालक से लेकर वृद्धों तक के शरीर पर