________________
दम्पति जीवन.
( १२९ ) और निर्लज्ज वस्त्रों में अपनी मुश्किल से पैदा की हुई लक्ष्मी बरबाद कर देते हैं इतना ही नहीं पर उन व्यभिचारी पुरुषों के लिए आज भारत में पांचलाख वैश्याएं खूब मौजमजा उड़ा रही हैं यह किस के ऊपर ? अगर पुरुष पत्नीव्रत पालन करते हो तो भारत जैसे सुशील सदाचारी देश में वैश्याओं का नाम निशान भी रह सक्ता ? नहीं, यह पांच लक्ष तो मैदान में खुली वैश्यावृति करनेवाली वैश्याएं हैं पर गुप्त वैश्याओं की तो गिनती ही नहीं हैं कि वे व्यभिचारियों का द्रव्य किस कदर हड़प करती हैं क्या यह अपठित अशिक्षा का फल नहीं है ?
1. हमारे अग्रेसर लोग स्त्रियों के पुनर्विवाह में तो महान् अधर्म और पाप बतलाते हैं और उस को रोकने के लिए तनतोड परिश्रम कर रहे हैं वह ठीक हैं पर पुरुषों का पुनर्लन एकवार दोवार तीनवार हो जाता है अगर सच कहा जाय तो संसार में विधवाओं के पुनर्लन का आन्दोलन ही पुरुष पुनर्लग्नने मचाया है । कारण पुरुषोंने पुनर्लन करके विधवा संख्या बढाई और उनके दुराचार गर्भापातने पुनर्लग्न को पैदा किया है अगर जैसे स्त्री एक दफे अपना हृदय पुरुष को दे देती है अर्थात् वह पतिव्रत धर्म पालती है इसी माफिक पुरुष पत्नी धर्म पाले तो न तो पुनर्लग्न को स्थान मिले और न दुराचार को अवकाश मिले परन्तु पुरुष तो स्त्री होते हुए भी वैश्याओं के द्वार की रेती चाटने को घर २ भटकते फिरें और स्त्रीओ को शिक्षा दे कि तुम पतीव्रत धर्म पाला करो