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( ११८) जैन जातिमहोदय प्रकरण कट्ठा. मरणने त्राही त्राही मचा दि है जितना बाल मरण जैन समाजमे है उतना स्यात् किसी कोममे न होगा? हमारी दिन ब दिन संख्या कम होने का भी मुख्य यह ही कारण है अतएव इस कारण को शीघ्रतासे न रोका जाया तो भय है कि हमारी समाज कि क्या दशा होगा।
इस महा भयंकर कुप्रथा को रोकने का खास उपाय तो यह है कि सबसे पहले कन्याओं को अच्छी शिक्षा दि जाय उनके सुन्दर संस्कार डाला जाय उनको गृह कार्यमे दक्ष बनाई जाय माताओं कि बुरी चाले. जैसे व्यभिचार वृद्धक गाल गीत से दूर रक्खी जाय, उन को पूर्ण समज पाजाने पर ही उसके रूप गुण बल और धर्म की तुलना करके ही उनका विवाह किया जाय बाल रक्षणादि शिक्षा पहलेसे ही दी जाय उनके गुणागुण का अच्छी तरहसे ख्याल कीया जाय इत्यादि कार्योंमे कन्या समाज सुशिक्षित बननेसे ही समाज का सुधार हो सकेगा घटती हुई जैन संख्या भी रूक सकेगी । बाल मरण जैसा भयंकर रोग कि चिकित्सा हो सकेगा। और जैन समाज फिर से उन्नति की भाशा रख सकेगा। शासनदेव हमारे धनाढय और समाज अप्रेसरो को सद्बुद्धि दे कि बह इस पवित्र कार्यमे प्रयत्नशील बने । ।