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( १९६) जन जाति महोदय प्रकरण छरट काण्ड इतनाही नहींपर अगर कोइ अंक लिलाम पुत्र-लक्ष्मी वगेरह बतानेवाले ढूंगी पाखण्डि बागया हो तो सबसे पहले वह उनका स्वागत करने को तय्यार हो जायगा । कारण उनके संस्कार ही ऐसे पडे हुए है इत्यादि यह सब दोष हम कीस को दे ? इस विषयमे एक पाश्चात्य तत्त्ववेत। विद्वान स्माईल्सने कहा है कि
“ House is tbe first and wost important school of character. It is there that every buman being receives his best, moral training or his words." .
अर्थात् घर एक चारित्र की प्रथम और पूर्ण जरूरत की स्कूल है मनुष्य अच्छासे अच्छा नैतिज्ञ शिक्षण या बुगसेबुरा शिक्षण वहाँसे ही प्राप्त कर सकता है।
जब गृहशिक्षण का आधार विदूषी महिलाओं पर है अगर माताभों अच्छी शिक्षित हो तो अपने बाल बच्चोंकों सुन्दर शिक्षा देकर उनको उच्चकोटी के संस्कारी बना सक्ती है इसलिये उसी विद्वानने फिर भी स्त्री शिक्षाके लिये प्रजाकिय आवश्यक्ता बतलाते हुए कहा है कि
"If the moral character of a people mainly depends upon the education of the home then the education of woman is to be regarded as a mother of national inportant"
अर्थात् अगर मनुष्य का नैतिक चारित्र मुख्यतया गृहशिक्षण पर प्राधार रखता हो तो स्त्रीशिक्षण प्रजाकीय आवश्यक्तायुक्त वस्तु है।