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माताओं का कर्तव्य.
( १९९) कि सेंकडे पचवन जीवों का संहार । आज पृथ्वीपट्ट पर देखा जावे तो यह संहार हमारी समाज के सिवाय आप को कहाँ भी नहीं मिलेगा।
आगे चलकर गर्भ प्रसूता माता के भेजन कि और देखिये जो पुराणे जमाना में ताक्तवर माताओ को बलीष्ट भोजन दिया जाता था वह ही भोजन आज हमारी कमजोर नवयुवतियों को दिया जाता है कि जिस के अन्दर उस भोजन पचाने कि सक्ति न होने से वह उल्टी वैमार पड़ जाती हे कारण जिस सासु व दादी सासुने गोलीभर घृत खाया था वह समजती है कि बहु भी इतना खाजाय तो अच्छा पर उन को यह ख्याल कहाँ है कि मेरे शरीर में कितनी ताकत थी मैं कीस अवस्थामें प्रसूत प्रारंभ किया था। खेर । .. अब बालपोषण का हाल भी सुन लिजिये । अव्वलतो बाल माताओं के स्तनोंमे दुध कम होनेसे बच्चों को पुरी खुराक नहीं मिलती है जब वह रुदन करता हैं तो उस को अफीम दे दिया जाता है कि उन के शक्ति तन्तुओ का प्रारंभसे ही वह भक्षण कर लेते है आगे उन बचा के संस्कार के लिये जैसे उन की मातापिता ओर कुटुम्बियों का रहन शहेन खानपान भाषा विचार होगा वह उस अबोध बालक के कोमल जीवनपर संस्कार पड जायगा फिर उस को सेंकडो उपाय करो पर वह संस्कार किसी हालतमे नहीं बदलते है जैसे कि-अमेरिकामे एक माता अपने ढाई साल के बालक को लेकर के एक धर्मगुरु के पास उपस्थित हुई और