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( १०८ ) जैन जाति महोदय प्रारण कट्ठा. धर्म की उन्नति चाहते हो तो अन्यान्य धर्म कार्यों के साथ सबसे पहिले अपनी समाज को सुधारो। उन्नति पथपर ले जाओ और स्वाधर्मी भाइयों को सहायता दे करके अपने बराबरी के बनालो इसमें ही आपका कल्याण है ।
(७) बालरक्षण और माताओंका कर्तव्य ।
__प्रत्येक ज्ञाति न्याति और समाज के हानि वृद्धि का प्रा. धार उनके बाल बच्चों के पालन पोषण-स्वास्थ्य और दीर्घायुः पर है इसीलिये ही शास्त्रकारोंनें तद्विषय खुब बिस्तार पूर्वक उल्लेख किया है पर आज उस उत्तम शिक्षाके अभाव हमारी माताए अपने बालबचो के पालन पोषण से विलकुल अनभिज्ञ है और इस कारससे ही संसारभरके बालमरणमें हमारी समाज पहले नम्बरमें मशहूर है। बालमृत्यु के कारणसे हमारी संख्या दिन व दिन कम होती जा रही है।
__ हमारी समाजमें बाललान अनमेल विवाह का काफी प्रचार है इसी कारणसे बाल ललनाएँ अनियमत समय रजस्खला हो गर्भ धारण कर बासकों कि माता बनने को तय्यार हो बेठती है पर गर्माचर्यसे ज्ञात न होनेसे उनको यह भान नहीं है कि गर्भवंती मोरतो को किस रीतीसे रहना चाहिये किस रीतीसे गर्भका पालन करना चाहिये ? हमारे शास्त्रकारोने फरमाया है कि गर्भवती महिलाओं को न अति गर्मभोजन न अति शीत-रूप