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जैन जाति महोदय प्रकरण छड़ा.
( १ ) पचीस वर्ष के अंदर की विधवाएं - १५३७६४४ ( २ ) पनरा वर्ष से कम उमरवाली - ३३२४७२ ( ३ ) दस वर्ष से भी कम
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( ४ ) पांच ( ५ ) एक जवानी के आविर्भाव के साथ ही विधवा हो जाना कितन दुःख है पर यहां तो विवाह किस चिडीयों का खेत है। एसी बोध बालाओं की तो क्या पर अभी तक पांच वर्ष की भी नहीं हुई और जो माता के स्तन का दूध पान कर रही है उन को भी विधवा का इल्काब ' मिल जाता है यह भारत के सिवाय और उच्च जाती के अन्दर कहीं भी नहीं मिलेगा | यह कितना अत्याचार ! कितना भीषण काण्ड ! ! यह कितनी भयानक अनाथ दशा ! ! !
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जिस अभागे देश में बालविधवाओं की संख्या सवा क्रौड से भी अधिक हो, एकेक दो दो वर्ष की दूधमुहीं बालपत्नियों की संख्या पनाह हजार, व सतरह हजार की हो उस देश के दुर्भाग्य के लिए तो पूछना ही क्या है. ऐसे भयानक वाल विवाह आदि कुप्रथाओं से स्त्री समाज को या तो अकाल मृत्यु का ग्रास बनना पडे, या समय में विधवा वेष को धारण करना पडे, इस के सिवाय तिसग रास्ता क्या हो सक्ता है ?
इतनी बडी विधवा पल्टन पृथ्वी पट्टपर सिवाय हिन्दुस्थान के दुसरी जगह नहीं पाई जाती हैं । इस दारुण व्याधि की जहां तक