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________________ माजिद .. (-) दुराशीपसे हमारास और समाज अन हो जायगा । इस हालत में पासिम के मुख सौवाम्म प्रा.किनार न करे ने सो इतनेसे सन्तोष मानते है कि वृद्ध होनेसे क्या हुणा पैसे पर हैं बेटी को रोटीन तो दुस्सा नहीं है । पीछे पाहे शेष बनवाय, वह सियों दुराचार सेवन करें, गर्मपात करें, और दोनों पर को कलाहित भले ही कर दें। उसकी परवाह किसको है ? सौमाम्यवस अभी तक तो चैनत्वके अंश उन लड़कियों में है जिससे ऐसी विधबामों की संख्या बहुत कम ही है किन्तु जमाना भारहा है कि अगर समाज नहीं चेतेगा तो यह चेपी रोग बहुत जल्दी फैल जायगा। ... १२-१४ वर्ष के लड़के के साथ अगर नो ४५-५० वर्ष की वृद्धा स्त्रीका विवाह किया जायतो उस लड़को को कितना त्रास • होगा उसी तरह १२-१४ वर्ष की कन्या का ४५-५० वर्ष के बुडेके साथ पासुरी हस्खमिलाप करानेसे उस कन्या हदबमें दुःख दावानल प्रज्वलित नहीं होगा ? जरा बुद्धिपूर्वक निष्पा विचार करने की पावरवकता है कि कन्या के कुल की पर्वाह नहीं करने बाला पर्वात् मालिक को पेचने वाला और गीदनेमला दोनो ही भयंकर पाप राशी को वान्ध समाज और धर्मका द्रोह करते हैं किन्तु उससे अधिक दोपतो इस पैशाचिक विवाह में शामिल होनेवाले उखना देनेवालों का ही है। चाहे वेम्बावके भागवान हो, पंचशे, पटेल हो, चौधरी हो किन्तु ये तो उस कन्या को खरीदनबर और बेचनेवाले अधम्ममरोसे भी क्रुर अधम्म हैं। कारण उन पेटपोपों कि सहायतासे ही यह दुष्ट रोग अपनी परम सिमाव पांगा है।
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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