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बालविवाह.
(६७) सामने उपस्थित करता है। यह द्रश्य उन घोर विलाप करनेवाली बालविधवाओं का है कि जिन की संख्या ही बंतला देवेगी कि यदि यह कुप्रथा प्रचलित नहीं होती तो कितनी अनजान बालिका में इसी घोर दुःखसे बचती और भारतमें कीतने दुःख की कमी होती"
(५) डा. महेन्द्रलाल सरकार एम. डी. कहते है कि " बाल्यावस्था का विवाह अत्यन्त बुग है इससे जीवन की उन्नति की बहार झूट लाती है और शारीरिक उन्नति का द्वार बंद हो जाता है xx मेरी डाकटरी के ३० वर्ष का अनुभवसे कह सकता हूं कि २५ फी सदी स्त्रियें बाल विवाह के हेतु मरती है और २५ फी सदी पुरुष ऐसे हो जाते हैं कि जीन को गेग घेरे ही रहते है"
(६ ) डा. एम. जी. चक्रवर्ती एम. डी, की राय है कि " कन्याओं का विवाह १६ वर्ष की आयु के पहले कभी नहीं होना चाहिये । बालिकाओं को पूरी युवती होने तक विवाह से विरक्त रखना, बचपनमें विवाह करने की अपेक्षा अच्छा है"
(७) डा. फेअरर एम. डी. सी. एस, आई. “ मेरी रायमें बालिकाओं का विवाह कमसे कम १६ वर्ष की उम्मरमें होना चाहिये, साधारणतया यदि यह उम्मर १८ से २० वर्ष तक की रखी जाय तो भोर भी उत्तम हो । यह कोई कारण नहिं कि सिर्फ रजस्वला होने पर ही कमजोर बालिकाओं का भी विवाह कर दिया जाय । विज्ञान, साधारणज्ञान और अनुभव यह बात बतलाता है कि अप्राप्त वयस्का जानी को कमजोर ओर अधूरी सन्तान ही