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जैन जाति महोदन प्रकरण कहा.
की तो मट्टी ऐसी पलीत होती है कि उसको इस लोक और परलोक ' में कहीं भी स्थान नहीं मिलता है जिस का हाल हम आगे लिखेंगे ।
बाललग्न और अनमेल विवाहसे, हमारी समाजमें बालमृत्यु का इतना तो भयंकर रोग फैला है कि दूसरी किसी समाज में इतनी भयंकर बालमृत्यु न तो देखी है और न सुनी है, और हमारी समाजमें जो कुछ जन संख्या घट रही है उसमे विशेष कारण बालमृत्यु का ही है और बालमृत्यु का मुख्य कारण बाललग्न और अनमेल विवाह हैं। फिर हम शूर वीर धीर पुष्ट निरोग और दिर्घायु सन्तानकी क्या यह हमारी प्राशा श्राकाश कुसुमवत् नहीं है ?
और
बालविवाह और अनमेल लग्नने हमारे देश की उत्तम विद्या हुन्नर को भी जलाञ्जली दे दी है कारण जिस समय विद्याभ्यास और हुनरोद्योग सिखाने का है उस समय तो उनके माता पिता उनके पीछे एक बड़ा भारी जबर्जस्त रोग लगा देते हैं जैसे शेर का पींजरे के श्रागे बकरे को बांध दिया फिर उसको कितना ही माल खिलाया जाय पर उस का तो जीव ही जानता है इस माफिक हमारे समाज के होनहार नवयुवकों को बाललग्न और अनमेल विवाहसे बहुत २ बुरी दशा हो रही है महात्मा मनुजी ने कहा है कि " चतुर्थमायुषो भागमुषित्वाऽद्यं गुरौ द्विजाः "
अर्थात् सौ वर्ष का प्रायुष्य हो तो चतुर्थ भाग अर्थात् २५ वर्ष तक तो गुरुकुलवासमें रह कर के विद्याभ्यास करना चाहिए यानि २५ वर्ष तक ब्रह्मचर्य पालन करता हुआ विद्याभ्यास करे ।