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बाल विवाह.
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हो जाते हैं एक शेठजी दूसरे लक्ष्मीपतिजी को कहते है कि अगर आपके लड़का जन्मे और हमारे लड़की हो तो अपने सगपण सही है । और दो दो चार चार वर्षों के बालवयों के सगपन करना तो हमारे धनाढ्यों के लिये साधारणसी बात है, अक्सर कर देखा जाता हैं तो उन धनाढयों के घरों में ८-१० वर्ष का लड़का लड़की तो शायद ही विगर सगपण किया हुआ मिलेगा ? छोटे २ बालकों का सगपण करने मे भी शेठजीने कुछ न कुछ तो फायदा अवश्य सोचा होगा, कारण विगर फायदे महाजन लोग कोई भी कार्य नहीं करते हैं ।
(१) छोटे बालकों का सगपण फरनेके बाद लड़का कमजोर हो, और लड़की ताकतवर हो जाय. या दिखने में लड़का
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पतले शरीरका और छोटा दीखता हो और लड़की खूब मजबूत शरीरवाली हो और बड़ी दिखाई देती हो तबभी अपनी इज्जत रखने के लिये शेठजी को विवाह करना ही पड़ता है; बाद चाहे इज्जत रहे या न रहे इसकी धनाढयों को क्या पर्वाह है ।
(२) लड़का या लड़की बिमारी या रोगसे कई अंगोपाङ्ग बिहीन हो जाय तो भी उसका विवाह करना ही पड़ता है, फिर जिन्दगीभर दुःख की दिवार सामने क्यों न रहजा ।
(३) सगपण होनेके बाद सैकड़ो नहीं पर हजारों रुपयोंके गहने कपड़े कराने पड़ते हैं, उनको लड़कियों खोदे धस जाय भागे टूटे और सैकड़ों रूपये का व्याज का नुकशान हो तो पर्वाह नहीं, पर पीछे स्यात् बराबरी का घर मिले या न मिले 1