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जन जातियो के विषय प्रश्नोत्तर. (४५) थाल अनेक कटोरियो केवल सोना की है और रुपै के बाल लोटो कि तो गणती भी नहीं है तो इस के घर में अन्य द्रव्य तो कितना होगी क्या लक्ष्मीदेवीने अपनि वरमाला लुणाशाहा के गलेमे डाल इसको ही वर पसंद किया है अस्तु । भोजनकि पुरस. गारी होने के पश्चात संघपतिने अपने साथ भोजन करने के लिये लुणाशाहा को आमंत्रण किया। इसपर सत्यवादी लुणाशाहाने साफ कह दिया कि मैं आपके साथ भोजन नही कर सक्ता हुं संघपतिने उसका कारण पुच्छा । लुणाशाहाने विगर संकोच कह दिया कि मैं महेश्वरी कन्याके साथ विवाह किया इस कारणसे जातिने मुझे जाति बहिष्कृत कि सजा दि है इत्यादि यह सुनते ही संघपति के क्षुधापिपासित हृदयमें बडा ही दुःख पैदा हुवा
और मोचने लगा की हो आचर्य यह कितना दुःख का विषय है कि एक साधारण कारण को लेकर ऐसा नररत्न का अपमान कर देना भविष्यमे कितना दुःखदाई होगा कहां तो अदूरदर्शी लोगो कि उच्छृखलता और कहाँ लुणाशाहा कि धैर्यता गांभिर्यता संघपतिने भोजन भी नहीं किया और जाति अग्रेसरों को बुलवा के मधुर वचनो से समजाया कि महेश्वरी कोइ हलकी जाति नहीं है भोसवाल महेश्वरी एकही खानके रत्न है उनका प्रचार व्यवहार, खानपान अपने सदृश ही है और उनके साथ अपना भोजन व्यवहार भामतौरपर खुला है फिर समाजमें नहीं आता है कि पूर्व संस्कारो से प्रेरित हो लुणाशाहाने महेश्वरी कन्यासे विवाहा कर लिया तो इसमे इतना कोनसा बुरा हो गया कि जिसको जाति