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जैन जातियों के विषय प्रश्नोत्तर. ( ३ ) बन्ध हो गया और स्वच्छन्दवा का उपदेश के जरिये जैन जातियों में अनेक नेश कामह पैदा होने से कुसम्पने अपना खुब जोर जमा लिया भाज जितना कुसम्प जैन जातियों में है उतना शायद ही किसी अन्य जाति में होगा ?
बडी खुशी की बात है कि वीरता के विरोधियों के अनुयायियों को भी आज जमाना की हवा लगने से उन्होंने के स्थानों पर गुरुकुलवासादि संस्थाओं स्थापन कर समाजमें वीर पैदा करने कि आशा से शारीरिक व मानसिक विकास के साथ कसरत और शस्त्र विद्या का अभ्यास करवा के अपने पूर्वजो की भूलमें सुधारा करने का प्रयत्न कर रहे है अगर साथ ही में जो आचार व्यवहार और इष्ट में परावर्तन हुवा था उस को भी सुधार लिया जाय तो जो उन्नति सो वर्ष में नहीं कर सके वह केवल दश वर्षों में ही हो सकेगा और जैन जाति पर कायरता व गन्धीला प्राचार का लांछन लागा है वह भी दूर जावेंगा ।
. वास्तव में न तो जैन जातियों कायर है न कमजोर है न उन का भाचार व्यवहार गन्धीला है प्रत्युत्त जैन जातियों बडी शूरवीर और सदाचारी है जिस की साबुती के लिये प्रश्न का उत्तर कि मादि से अन्त तक विस्तृत संख्या में प्रमाण लिख दिये गये है।
(३) तीसरे प्रभ में जो पत्रियोंने जैन धर्म से किनार कर लिया इत्यादि परन्तु खास कर के तोइन का कारण उपरलिख दिया है कि जब से जैन जातियों पर अनुचित दया का प्रभाव पड़ा और