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जैन समाजकी वर्तमान दशापर प्रश्नोत्तर.. (२७) कर पुनः अपना लिया. ऐसे तो इस जातिमें अनेक वीर हो गये पर हालहीमे मेहताजी विजयसिंह का जीवन पढिये कि वह आद्योपान्त वीरताका रंगसे ही रंगा हुआ है।
इनके सिवाय संचेती बाफणा करणावट समदडिया गदइया पारख चोपडा चोरडिया लोढा सुराणा हथुडीया राठोड सिसोदीया परमार चौहान सोलंखी बोथरा तातेड वडशूरा आदि हजारों जातियों के असंख्य नरवीरोंकी वीरताका चरित्र लिखा जावे तो एक महाभारत सदृश ग्रन्थ बनजावे.
___जब हम गुजरातके जैन वीरोंकी तरफ दृष्टिपात करते है तब तो हमारे आश्चर्यको सिमा तक भी नहीं रहती है। कारण गुजरातके राजतंत्र चिरकाल तक जैनजातियोंने बडी वीरतासे चलाया. इतना ही नहीं पर उनने वहां का राज किया कहदिया जाय तो भी अतिशययुक्ति न होगा-वीर काकव पातक, नानीग, लेहरी, विमलशाहा, उदाई, पेथड, मुंजाल, संतु महेता, बाहड मंत्री
और वस्तुपाल तेजपाल इत्यादि इनकि अलौकिक वीरता इतिहासके पृष्टो पर आज भी वीरगर्जना कर रही है। फिर भी क्या जैन जातिये कायर और कमजोर थी ? . जैन धर्म केवल जैन जातियों का ही नहीं था पर पूर्व जमाना में इस पवित्र धर्म के उपासक बडे बडे राजा महाराजा जैसे राजा प्रश्रजीत, चेटक, उदाई, अनंगपाल, चन्द्रपाल, चण्ड. प्रद्योतन, श्रेणक, कोणक, चन्द्रगुप्त. आशोक, बिन्दुसार, कनाल,