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जैन जाति महोदय प्रकरण छट्ठा.
तलवारने पठान जैसे अजय लोगों का इस कदर पराजय किया था की उस समय के वीर रसपोषक भाटों के वहियों उनवीर पुरुषों की वीर काव्यों से भरी पडी है जैसे
वैदोने वरदान | आगे सच्चिया तणो । खपिया तेरहखान । तपियों मुत्तो तेजसी ॥ १ ॥
इत्यादि अनेक वीरोंने वीरता का परिचय दे इतिहास पट्टको अलंकृत किया - जैसे वह लोग वीर थे वैसे उदार भी थे जिन्होंने लाखों क्रोडों द्रव्य पुन्य कार्योंमें व्यय कर अपनी उज्वल कीर्ति को विश्वव्यापी वना दी थी. एक समय इस एक वैदमुता जातिके एक लक्ष घरोंसे भारतभूमि विभूषित थी यहाँपर वैदमुता जातिका किंचित् परिचय करवाया है वैसे ओसवाल कोम में हजारों जाति के असंख्य नरपुङ्गवोंने अपनी वीरता व उदारता से देश सेवा कर अपना नाम अमर बना दिया था । क्या जैन जातियों के लिये कायर - कमजोर कहनेका कोई व्यक्ति साहस कर सकता है । अपितु कभी नहीं ।
( २ ) वि० सं० ६८४ सिन्धपतिराव गोशलभाटी को आचार्य देवगुप्तसूरिने प्रतिबोध दे जैन बनाया बाद उनकी १६ पीढी तक उनका बेटी व्यवहार राजपूतों के साथ रहा. इनकी परम्परा संतानों में इतने वीर हुए कि जिनकी सिंह गर्जनासे अजय्य मुसलमान बादशाह भी कम्प उठते थे । श्रदूशाह, सारंगशाह,