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जैन समाजकी वर्तमान दशापर प्रश्नोत्तर. - (२३) ( १ ) उपकेशपुर नगर का महाराज उपलदेवने जैन धर्म स्वीकार करने के बाद उनके अठाइस उत्तराधिकारियोंने जैन धर्म पालन करते हुवे भी वडी वीरता से राजतंत्र चलाया। उनकी बेटी व्यवहार तो चिरकाल तक राजपुतों ( क्षत्रिय ) के साथ ही रहा था जिन्होने अपने भुजबल से देशका रक्षण कर जनता की वडी भारी उन्नति की थी. इतना ही नहीं पर उन जैन वीरोने अनेक युद्धक्षेत्र में अपनी वीरता का विजय मुंडा भी फरकाया था. उन की संतान आज श्रेष्टिगोत्र और वैदमुता के नाम से शूरवीरो में मशहुर है इस जाति के नररत्न वीरोंने चिरकाल तक जागीरियों व दीवानपद और फोजमुसफ आदि राज कर्मचार्य व धर्म सेवा में ही अपनी जीवनयात्रा पूर्ण करी थी। मुत्ताजी लाल सिंहजी करणसिंहजी सवाइसिंहजी पृथ्वीसिंहजी हरनाथजी चतुरभुजजी जगमालजी और सुलतानसिंहजी आदि बड़े नामी हुवे है-बीकानेर व मेडता के प्रसिद्ध वैदमुतों की वीरता से मुग्ध हो राजामहाराजाओंने उनको कई ग्राम और पैरों में सोना बक्सीस किया था वह आज पर्यन्त वैदमुतों की महत्वता बतला रहा है । जोधपुर के वैदमुत्ता पाताजी और जैतसिंहजी का यश आज भी जीवीत है सोजत के वैदमुत्ता सतीदासजी की सत्यता और स्वामि धर्मिपना प्रसिद्ध है । खेरवा के मुत्ता सबलदासजी की सिंहगर्जना से दुश्मन पलायन हो जाते थे । सिवाणा के वैद • मुत्ता ठाकुरसिंहजी और नरनारायण की प्रचण्ड वीरता से मुसनमान लोग कम्प उठते थे जालोर के वैदमुत्ता तेजसिंह की तीक्षण