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जैन जाति महोदय प्रकरण पांचवा.
यद्यपि उस तरह का राज्य कष्ट इस समय नहीं है तथापि जीविका निर्वाह का प्रश्न यहाँ के निवासियों के लिये दिनप्रतिदिन जटिल हो रहा है इस समस्या को हल करने के उद्देश से यहाँ के कई लोग दूसरे प्रान्तों में जाकर बस रहे हैं तथा मारवाड़ियों का अधिकांश व्यापारी वर्ग मारवाड़ के बाहिर जा कुछ उपार्जन कर वापस अपने प्रान्त में जाता है | इतना होने पर भी जैनियों की आबादी तो केवल इस एक प्रान्त में ही है । सब जैनी इस समय १२ लाख के लगभग है; उन में से ३ लाख जैनी इस समय मारवाड़ में विद्य मान । इस भूमि में अनेक नररत्नोंने जन्म ले जैनधर्म की खूब सेवा की है। जैन धर्म की उन्नति के लिये तन, मन और धन को पर्ण करने वाले इस प्रान्त में अनेक नररत्न उत्पन्न हो चुके हैं ।
उपर्युक्त श्राचार्यों के समय से श्राज तक जैनधर्म अविच्छिन्न रूप से
चला आ रहा
है
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१३ जैन जातियों का महोदय - ( उपसंहार ) ] जैन जातियों के जन्म समय से लेकर ३०३ वर्ष तक तो दिनप्रतिदिन जैनियों का हर प्रकार से महोदय ही होता रहा । जो जाति प्रारम्भ में लाखों की संख्या में थी वही जाति मध्यकाल में क्रोड़ों की संख्या तक पहुंच गई । यदि उसी क्रम से महोदय होता रहता तो आज न मालूम जैन जातियों किस उच्च पदपर दृष्टिगोचर होता किन्तु किसीने सच कहा है कि होनहार ही बलवान
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है । ठीक वैसा ही हुआ । जब से उपकेशपुर मे स्वयंभू महावीर स्वामी की मूर्ति की श्राशातना हुई है तब से इस जाति की खैर