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अशोक नरेश.
( २०९ ) प्रान्त का राजा नन्द था । नन्द नरेशने कलिङ्ग देश पर चढ़ाई की। श्राक्रमण करके वह मणियाँ, माणिक आदि बटोर कर मगध में ले जाता था । कुमारगिरि पर्वत पर जो मगधाधीश श्रेणिक का बनवाया हुआ उत्तङ्ग जिनालय था उसमें स्वर्णमय भगवान ऋषभदे
की मूर्ति स्थापित की हुई थी । नन्द नरेश इस मूर्ति को भी उठा कर ले आया था । इस समय के पश्चात् खारवेल से पहले ऐसा कोई कलिङ्ग में गजा नहीं हुआ जो मगध के राजा से अपना बदला ले । यदि सबल राजा कलिङ्ग पर हुआ होता तो इससे पहिले मूर्ति को अवश्य वापस लें श्राता ।
शोभनय की आठवीं पेढी में खेमराज नामक राजा कलिङ्ग देश का अधिकारी हुआ । इस समय मगध की गद्दी पर अशोक राज्य करता था । अशोक नृपने भाग्तकी विजय करते हुए ई. स. २६२ वर्ष पूर्व में कलिङ्ग प्रान्तपर धावा बोल दिया । उस समय भी कलिङ्ग राजाओं की वीरता की धाक चहुं ओर फैली हुई थी । कलिङ्ग देश को अपने अधीन करना अशोक के लिये सरल नहीं था। दोनों सेनाओं की मुठभेड़ हुई । शोककी असंख्य सेना के आगे कलिङ्ग की सेना ने मस्तक नहीं झुकाया । दोनों और के वीर पूरी तरह से अड़े हुए थे । रक्त की नदियाँ बहने लगी । कलिङ्ग बालोंने खूब प्रयत्न किया पर अन्त में अशोक की ही विजय हुई | कलिंग देश पर शोक का अधिकार होते ही बोद्ध धर्म इस प्रान्त में चमकने लंगा । अशोक बोद्ध धर्म के प्रचार करने में मशगूल था श्रतएव जैन
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