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पुरानी खोजें.
(२०७) वली नामक पुस्तक लिखी थी उस में उन्होंने प्रकट किया है कि मगधे का राजा नंद, कलिङ्ग का गजा भिक्षुराने तथा कुमार नामक युगल पर्वत था इस स्थविरावली में:
१ मगध का राजा वही नंदराज है जिसका उल्लेख खारवेल के शिलालेख में हुआ है । उस में इस बात का भी उल्लेख है कि नंदराजा कलिंग देश से जिनमूर्ति तथा मणि रत्न आदि ले गया था।
२ कलिंग का राजा वही भिक्षुराज बताया गया है जिस का वर्णन खारवेल के शिलालेख में आया है। उस में इस बात का भी जिक्र है कि भिक्षुराजने भारत विजय कर मगध पर चढ़ाई
की थी और जो मूर्ति तथा मणि रत्न नंदराजा ले गया था वे . वापस ले आया । वह जिनमूर्ति पीछी कलिङ्ग में पहुंच गई। ... ३ कुमार पर्वत (जो आजकल खण्डगिरि कहलाता है) का उल्लेख शिलालेख के कुमार पर्वत से मिलता है । यह वही पहाड़ी है जिस के पठार पर एक विराट् साधु सम्मेलन हुआ था । सैकडों मीलों से जैन साधु तथा ऋषि इस पवित्र पर्वत पर एकत्रित हुए थे। १ जमदो मु.ण पवरो । तप्पय सोहं करोपरो जायो ।
अठ्ठपणेमो मगहे । रजं कुणइ तया अइलोहो । ६ । २ सुछिय युपडिबुढे । मज दुनेवि ते नमसामि । . पिरूग्बु र लिंगा। हिवेण सम्मणि जिट्ठ । १० । ३ जिण . किम जो कासी जस्स संथवमकासी । कुवारिधि मुहत्थी । तं बज मह गरि वदे । १२ ।