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( २०२) जैन जाति महोदय प्रकरण पांचवा. जनपद को बक्सी किये । सातवें वर्ष में राज्य करते श्राप की महारानी बनधरवाली धूषिता ( Dometrios ) ने मातृपद को प्राप्त किया ( १ ) (कुमार १ )........माठवें वर्ष में महा + + + सेना........गोरधगिरि
(८) को तोड़ कर के राजगृह ( नगर ) को घेर लिया जिसके कार्यों से अवदात ( वीर कथाओं का संनाद से युनानी राजा ( यवन राजा ) डिमित (
अपनी सेना और छकड़े एकत्र कर मथुरा में छोड़ के पीछा लौट गया ........ नौवें वर्ष में ( वह श्री खारवेलने ) दिये हैं........ पल्लव पूर्ण
(८) कल्पवृक्षो ! अश्व हस्ती रथों ( उनको.) चलाने वालों के साथ वैसे ही मकानों और शालाओं अग्निकुण्डों के साथ यह सब स्वीकार करने के लिये ब्राह्मणों को जागीरें भी दी
महत का.......
(१० ) राजभवन रूप महाविजय ( नामका ) प्रासाद उसने अड़तीस लाख ( पण ) से बनवाया । दसवें वर्ष में दंड, संधी साम प्रधान ( उसने ) भूमि विजय करने के लिये भारत वर्ष में प्रस्थान किया........जिन्हों के ऊपर ( आपने ) चढ़ाई करी उन से मणिरत्न वगैरह प्राप्त किये।
( ११ )........( ग्वारहवें वर्ष में ) (किसी ) बुग़राजाने. बनवाया मेड ( मडिलाबाजार ) को बड़े गदहों से हबसे खुदवा