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जनजाति महोदय प्रकरण पांचवा.
बाहन नामक राजा बैठा । इसने भी जैनधर्म के प्रचार करने में अटूट परिश्रम किया । इसने जो मन्दिर बनवाए तथा श्री सिद्धाचलजी का वृहद् संघ निकाला उसका वर्णन जैनग्रंथो में विस्तार पूर्वक पाया जाता है । इसने भी जैन समाज को एक जगह एकत्रित करने के हेतुसे जैन सभा का विराट् आयोजन किया था । जैनधर्म के प्रचार के हेतु इसने कई संस्थाएं स्थापित की । इन संस्थाओं में स्वयंसेवक तथा वैतनिक कार्य कर्त्ताद्वारा जैनधर्म प्रचारका बहुत काम कराया गया । इस नरेशने खास उज्जैन नगरी में एक विशाल मन्दिर श्री ऋषभदेवस्वामी का बनवाया । इस भव्य भवन का नाम इसने नभप्रासाद रखा । इस तरह इसके द्वारा भी जैनधर्म का खूब प्रचार हुआ । शेष आगे के प्रकरणों में ।
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