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प्रश्नजित. भगवान पार्श्वनाथ और महावीरस्वामी के इतिहास की सामग्री तो विस्तृत रूप में उपलब्ध हो चुकी है। इतना ही नहीं पर बावीसवें तिथंकर भगवान् नेमीनाथ स्वामी को भी ऐतिहासिक पुरुष मानने को अर्वाचीन इतिहासज्ञ तैयार हैं। ज्याँ ज्याँ अधिक खोज होगी त्या त्याँ जैन ग्रन्थों का विषय ऐतिहासिक प्रमाणित हो कर सार्वजनिक प्रकाश में भाता रहेगा। ___भगवान श्री महावीर स्वामी के पीछे का जो इतिहास उपलब्ध हुआ है उस में अधिकाँश पाटलीपुत्र नगर का ही वृतान्त वर्णित है । कारण इस प्रदेश में जितने नृपति हुए सब के सब ऐतिहासिक राजा हैं । अतएव यहाँपर पाटलीपुत्र के राजाओं से ही ऐतिहासिक वर्णन बताया जायगा किन्तु इस से पहिलेके श्रेणिक और कौणिक नरेश का थोड़ा हाल दिखा देना असंगत नहीं होगा। - यह वर्णन इस समय का है जब कि मगधदेश का राजमुकुट शैशुवंशीय महाराजा प्रभजित के मम्तकपर शोभायमान था। राजा प्रभजित के १०० पुत्र थे राजाने अपना राज्य जेष्ठ पुत्र को बिना परीक्षा किये न देने का विचार कर सब पुत्रों की कुशलता की परीक्षा लेनी चाही । इस परीक्षा में जो सर्वोपरी उत्तीर्ण होगा यही मेरा उत्तराधिकारी एवं राज्य का अधिकारी होगा, ऐसा राजा का पादेश एवं मन्तव्य था। अनेक प्रकार से परीक्षा करने से शात हुमा कि श्रेणिक कुमार राजा होने के लिए सर्व गुण युछ है फिर राजाने दूरदर्शिता से सोचा कि यदि श्रेणिक यहीं पर रहेगा तो