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आचार्यश्री इन्द्रदिजसूरी. . ( १४५) युक्ति संयुक्त तर्को से समाधान कर आपने दूर किया । आप बड़े प्रतिभाशाली विद्वान् एवम् ओजस्वी वक्ता थे आपने जैन धर्म के प्रचार का कार्य अपने हाथ में ले सफलतया पूर्ण किया । इन्हीं गुणों के कारण आचार्यश्री सुस्थित सूरिने इन्द्रदिन्न मुनि को प्राचार्य पद पर आरोहित किया।
आचार्यश्री इन्द्रदिन्न सूरीने जिनशासन की सेवा कर जैनों पर असीम उपकार किया आपने अनेक जैन मन्दिरों की प्रतिष्ठा करवाकर मथुरानगर में भूरि भूरि प्रशंसा प्राप्त की। आपने प्रतिकूल वातावरण के होते हुए भी अाशातीत सफलता प्राप्त की। रात दिन शासन के उत्थान कार्य में संलग्न रहने में आपकी स्वाभाविक रुचि थी । आपने हर प्रकार से जैन धर्म की बढ़ती की जिसका उपकार भूला नहीं जा सकता। आपने अपने अंतिम समय में आचार्य पदवी मुनि दिन्न को अर्पित कर तीन दिवस के अनशन एवं समाधी पूर्वक वीरात् सम्बत् ३७८ को स्वर्ग निके तन में डेरा किया। महावीर स्वामी के बाहर पट्ट पर प्राचार्य श्री इन्द्रदिन्न सूरी बड़े प्रतिभाशाली युगप्रधान हुए। शेष आगे के प्रकरण में । अस्तु।