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जैन जाति महोदय प्रकरण पांचवा.
तीर्थ की शीतल छाया में तपश्चर्याकर अनसन कर समाधिपूर्वक शरीर त्यागकर स्वर्ग की भोर प्रस्थान किया । श्री संघने आपश्री की स्मृति में वहाँ पर एक सुन्दर रमणीय और बड़ा विशाल स्तम्भ बनाया । इति श्री भगवान पार्श्वनाथ के तेहरवें पट्टपर आचार्य श्री ककसूरीश्वरजी महाराज बड़े ही विद्वान आचार्य हुए जिन का उज्जबल नाम इतिहास में अमर रहेगा। शेष भागे के प्रकरण में ।
॥ इति शुभम् ॥