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मचार्यश्री सिद्धसूरि.
(७७) २ संस्कार पड़ जाता है अतःएव प्रत्येक प्रान्तमें मुनि विहार की प्रावश्यकता उस समयमें भी स्वीकारी जाती थी.
अपने पूर्वजों की पद्धत्यानुसार प्राचार्य श्री सिद्धसूरिजी महाराजने पंजाब देशमें विहार करनेवाले मुनियों के लिए अच्छी व्यवस्था कर आपश्री ५०० मुनियों के साथ विहार कर हस्तीनापुर मथुरा, शोरीपुर वगेरह तीर्थों की यात्रा के पश्चात आप श्रीमानोंने अपने चरणकमलोंसे मरू भूमि को पवित्र बनाई और शासनाधीश भगवान् महाबीरकी यात्रा के लिए उपकेशपुर की तरफ विहार किया। मरूस्थलमें यह शुभ समाचार सुनते ही मानों वसन्त के आगमनसे वनरानी नवपल्लव बनजाती है इसी भान्ति मरूस्थल की जैन जनतामें बड़े ही हर्षोत्साह की लहरें उठ रही थी. सूरिजीमहाराज क्रमशः विहार करते हुए उपकेशपुर पधारे श्री संघने आपश्री का बड़ा भारी स्वागत किया देवगुरु की यात्रा कर धर्म पिपासु लोंगों को धर्मदेशना दी जिस का प्रभाव जैन जनता पर बहुत ही अच्छा पड़ा इधर उपकेश गच्छ कोरंटगच्छके साधु साध्वी झंड के झुंड आपश्री के दर्शनार्थ श्रा रहे थे श्राद्धवर्ग की तो संख्या ही नहीं गिनी जाती थी मानों उपकेशपुर एक यात्रा का पवित्रस्थान ही बन गया था ।
भाप श्रीमानों के विराजनेसे उपकेशपुर और आसपास में अनेक सद्कार्यों द्वारा जैनधर्म का प्रचार, शासनौमति, और जैन जनतामें धर्म जागृति के साथ कई गुणाउत्साह बढ गया श्री संघ के प्रत्याग्रहसे प्रापश्री का चातुर्मास उपकेशपुरमें हुआ तब प्रासपास के