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आचार्यश्री ककसूरि.
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आचार्यश्री की अध्यक्षता में कोरंटपुर के श्रीसंघने एक बिराट् सभा करने को आसपास में विहार करनेवाले साधु साध्वियों और अनेक प्राम नगरों के श्रीसंघ को आग्रह पूर्वक ग्रामन्त्रण भेजा इस पर प्रथम तो आचार्यश्री का चिरकाल से पधारना हुआ वास्ते उन के दर्शन का लाभ. दूसरा यह प्राचिन तीर्थरूप स्थान है भगवान् महावीर की मूर्ती का दर्शन. तीसरा श्रीसंघ एकत्र होगा उन का दर्शन. चोथा आचार्यश्री की अमृतमय देशना का लाभ और हजारों साधु साध्वियों के दर्शन. पांचवा धर्म और समाज सम्बन्धी अनेक सुधारे होंगे उन का लाभ इत्यादि कारणों को लेकर हजारों साधु साध्वियों और लाखों श्रावक श्राविकाओं एकदम एकत्र हो गए | देव गुरु और संघ यात्रा के पश्चात् सूरिजी महा राज के मुखार्विन्द की देशना की अभिलाषा होरही थी ।
सूरश्विरजी महाराजने चतुर्विध संघ के अन्दर खड़े हो अपनी वृद्ध वयं होने पर भी बडी बुलन्द आवाज से धर्मदेशना देना प्रारंभ किया | आपश्रीने अपने व्याख्यान के अन्दर श्रमण संघ की तरफ इसारा कर फरमाया कि प्यारे भ्रमण गण ! आप जानते हो कि एक प्रान्त में भ्रमण करने की अपेक्षा देशोदेश में बिहार करने से स्वपरात्मा का कितना कल्याण होता है वह मैं मेरे अनुभव से आप को बतला देना चाहता हूं कि आचार्य स्वयम्प्रभसूरिने श्रीमाल नगर और पद्मावती नगरी में हजारों नए जैन बनाए आचार्य श्री रत्नप्रभसूरिने उपकेशपुर में लाखों श्रावक
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