SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 643
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५६) जैन जाति महोदय प्रकरण पांचवा. इस सुकुमार के लिए यह क्या तजबीज कर रक्खी है ? एक मठपति बोला कि तुम नहीं जानते हो कि यह जगदम्बा महाकाली है, बारह वर्षों से इस की महापूजा होती है बतसि लक्षण संयुक्त पुरुष की बली देकर सम्पूर्ण विश्व की शान्ति की जाती है इस पर सूरिजी महाराजने सोचा कि अहो आश्चर्य ! यह कितना अज्ञान ! यह कितना पाखण्ड ! ! यह कितना दुराचार ! ! !. ___ आचार्यः- जगदम्बा अर्थान् जगन् की माता क्या माता अपने बालकों का रक्षण करती है या भक्षण ? जंगली:- तुम क्या समझते हो यह भक्षण नहीं है पर जिस की बलि दी जाती है, वह सदेह स्वर्ग में जाकर · सदैव के लिये अमर बन जाता है । ___ आचार्यः--तो क्या आप लोग सदैव के लिए अमर बनना नहीं चाहते हो ? कि इस नवयुवक को अमर बना रहे हो । जंगली:-देवी की कृपा इसपर ही हुई है। आचार्यः- क्या आप पर देवी की कृपा नहीं है ? जंगली:-देवी की कृपा तो सम्पूर्ण विश्वपर है। आचार्य:- तो फिर एक इस तरूण का ही बली क्यों ? जंगली:-बकवाद मत करो तुम तुमारे रास्ते जाओ । आचार्य:- भद्रो ! तुम इस निष्ठुर कर्म को त्याग दो, इस में देवी खुशी नहीं होगी परन्तु भवान्तरमें तुम को इस का बडा भारी बदला देना पड़ेगा।
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy