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मोसवाल झाति के वीर्शक छन्द. (११) शृंखलाबद्ध लिखा जावे तो एक बृहत् मन्थ बन जावे जिसके अन्दर के थोडा से पुरांणे कवित छन्द और गीत इस प्रथम खण्ड मे नमूना के तौर पर दीये गये है वह केवल जैन जातिका गौरव ही नहीं पर घोर निंद्रामे सुती हुइ जैन जातिको ठीक-जागृत कर रहें है उठो वीरो ! ! आपकी जातिका ईतिहासके लिये आज जनता प्रतिका कर रही है अर्थात् आप अपनि जातिका ईतिहास जनताके सामने रखनेको पैरोंपर खड़े हो जाइये । ... जातिके नवयुवक वीरो ! अाज प्रत्येक जातिय नवयुवको के हृदयमे जाति गोग्वनाकी वीजली भभक उठी है और वह अपनि अपनि ज्ञातिका इतिहास प्रकाशित करनेमे अपना महत्व समजते है । नब क्या आप लोग केवल फेशनकी फितुरी अर्थात् मोजशोखमें ही मशगुल बने ग्होंगें ? .. आज हम जैन जातियों के पास क्या देखते है ?
जैन जातियोंके संस्कार सदैव के लिये सुन्दर है जैन जातियोंकी उदारता अलौकीक है जैन ज्ञातिका सदज्ञान सबसे उत्तम है जैन जातिके पास लक्ष्मीकी विशालता है जैन जातिकी परोपकारता प्रशंसनीय है जैन जातियों का इतिहास बडाही महत्ववाला है