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लिखित वर्तमान ऐतिहासिक ग्रंथों का भी अध्ययन करना पड़ा जिन में मेरे विचारों की पुष्टि हुई है और इन के अवतरण भी विस्तृत रूप में स्थान स्थान पर दिये गये हैं अतएव मैं इन के लेग्यकों, सम्पादकों एवं प्रकाशकों का आभार मानता हूँ ।
(३५) भारत का प्राचीन राजवंश भाग १, २ तथा ३ विश्वेश्वरनाथ रेड |
प्रस्तावना,
(३६) राजपूताने का इतिहास खण्ड १ तथा २ - रा० पं० गौरीशंकरजी ओझा |
( ३७ ) सीरोही राज्य का इतिहास - रा० पं० गौरीशंकरजी ओझा | (३८) सिन्ध का इतिहास - मुन्सिफ देवीप्रसादजी । (३९) जेभलमेर का इतिहास - टॉड राजस्थान दूसरा खण्ड । (४०) पाटण का इतिहास गुजरात का इतिहास से । ( ४१ ) यवन राज्य का इतिहास - मुन्सिफ देवीप्रसादजी । (४२) राजपूतानी के शोधखोज
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इन के अतिरिक्त और भी कई साधनों की सहायता से इस कार्य को पूरा करने का बीडा उठाया है । प्रथम प्रयास का फल आज आप के समक्ष उपस्थित है । इस के लिये मैं उन लोगों का विशेष उपकार मानता हूँ जिन के कार्य से मुझे पुस्तक लिखने में महायता मिल रही है । स्थानाभाव से सब के नाम मैं इस स्थान पर प्रकट नहीं कर सकता हूँ ।