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जैन जाति महोदय. (२२) वस्तुपाल तेजपाल चरित्र-" जैन " भावनगर । (२३) वप्पभट्टिसूरि और अामराजा-जैन सस्ती वांचनमाला । (२४) महाराजा सम्प्रति-जैन सस्ती वांचनमाला । (२५) जैन गौत्र संग्रह-पं. हीरालाल हंसराज । (२६) महाजन वंश मुक्तावली-यति रामलालजी । (२७) जैन सम्प्रदाय शिक्षा यति श्रीपालजी । (२८) प्राचीन लेख संग्रह भाग १ तथा २-मुनि जिनविजयजी। (२९) जैन लेख संग्रह खण्ड १-२ तथा ३-सम्पादक बाबू
पूर्णचन्द्रजी नाहर । (३०) धातु प्रतिमा लेख संग्रह भाग १ तथा २-आचार्य श्री
बुद्धिसागरसूरि । (३१) मुणोत नेणसी की ख्यात–काशी नागरी प्रचारिणी सभा । (३२) कुमारपाल चरित्र । (३३) प्राचीन जैन स्मारक भाग १, २, ३, ४ तथा ५-ब्रह्म
चारी शीतलप्रसादजी जैन । (३४) श्रीमाल बाणियाँ का जाति भेद-प्रोफेसर मणीलाल
बकोरभाई।
उपरोक्त साधनों के अतिरिक्त यह भी आवश्यक था कि जैन जातियाँ जो प्रायः क्षत्रिय वंश-पवार,चौहान, प्रतिहार, राठौड, शिशोदिया, सोलंकी आदि से उत्पन्न हुई है और क्षत्रियों के महान पुरुष, व नगर और उन के समय से परिचित होने के लिये निम्न